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Dil ki pukar


 प्रतियोगिता के लिए


दिल की पुकार


दिल की पुकार सुनकर चले आना।

न अनजान बनना जानम चले आना।


चाँद निकलेगा कल भी पेड़ों के पीछे।

इंतज़ार करूँगा मैं चाहे सूरज ढले आना।


हर परिधान में लगती रूप की अप्सरा।

धानी लाल चूनर ओढ़ के भले आना।


सजा लेना मोंगरे का फूल जूड़े में।

पहन सुरभित बेलाहार अपने गले आना।


मादक पवन गिराती इस दिल पर बिजलियाँ।

कोयल की कूक सुनकर दिल मचले आना।


पहाड़ों के पीछे जब सूरज डूबेगा।

पहाड़ियां बर्फ की न पिघले आना।


तेरी खुशी पर वार दूँ खुशियां अपनी।

दिलज़ले की पुकार जब निकले आना।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'


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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 12:08 PM

Nice lines

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Swati chourasia

02-Oct-2021 07:30 AM

Very nice

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